देश के सबसे बड़े फंड मैनेजर्स में से एक 3P इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के डायरेक्टर प्रशांत जैन ने CNBC आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल से खास बातचीत। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 2023 चुनौती भरा रहेगा। डिपॉजिट रेट बढ़ने से पैसा इक्विटी से डेट की तरफ जा सकता है। वहीं FIIs की तरफ से बिकवाली आई तो मुश्किलें भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि IT सेक्टर का वैल्यूएशन अभी महंगा है। लेकिन लंबी अवधि के निवेश में IT में सामान्य return मिल सकता है। प्रशांत जैन ने 1 लाख करोड़ से ज्यादा का फंड मैनेज किया है। उन्होंने 1997 में IT के बूम को सबसे पहले समझा था। 2000-2007 के बीच Banking और commodity की रैली को भी पकड़ा था। इसके अलावा इन्होंने 2007 से 2017 की बीच FMCG की चाल भी भांप ली थी। पेश है उनसे पूछे गये सवाल और साल 2023 के लिए उनकी राय-
बाजार पर क्या होती है प्रशांत जैन की रणनीति?
प्रशांत ने कहा कि हमारे Fund का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। उस समय लोगों का पैसा बना। हमारे 3Ps का मतलब Prudence, Patience और Performance है। उन्होंने कहा कि सही दाम पर अच्छी कंपनी खरीदना मैनेजर का लक्ष्य होना चाहिए। निवेशकों को बाजार में धैर्य रखना चाहिए। मेरा मानना है कि अच्छे शेयर और धैर्य से ही पैसा बनता है।
सरकारी बैंकों में अब क्या करें
इस पर प्रशांत ने कहा कि सरकारी बैंकों में अब पहले जैसा आकर्षण नहीं है। पहले सरकारी बैंक undervalued थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। आगे बैंकों का रिटर्न उनके कारोबारी प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। अच्छे और बड़े बैंकों में ही निवेश बेहतर होगा। छोटे और कम consumer बेस वाले बैंकों में जोखिम नजर आ सकता है।
भारतीय बाजारों पर बुलिश या बेयरिश?
प्रशांत जैन ने कहा कि भारत की Growth स्टोरी दमदार है। भारत के बाजारों पर Bearish नहीं हो सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था का ग्रोथ आउटलुक काफी अच्छा है। इकोनॉमी में ग्रोथ के मुताबिक रिटर्न संभव है। लेकिन ध्यान रखें कि समय के साथ ही इक्विटी में बड़ा पैसा बनता है। भारत में 5-6 साल में पैसा डबल करने की क्षमता है।
बाजार ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड?
फंड मैनेजर ने कहा कि हर लिहाज से भारतीय बाजार का वैल्यू फेयर है। रिटर्न GDP ग्रोथ के काफी नजदीक है। कुछ पॉकेट में ही ओवरवैल्यूएशन है। कंज्यूमर स्पेस ओवरवैल्यूड दिख रहा है। लेकिन बड़ा अंडरवैल्यूएशन कहीं नहीं दिख रहा है।
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IT में अब क्या करें?
उन्होंने कहा कि IT काफी अच्छा सेक्टर है। दुनिया में भारतीय IT सेक्टर का बड़ा रुतबा है। IT बड़ा सेक्टर है लेकिन अब ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद नहीं है। IT अब भी महंगा नजर आ रहा है। लंबी अवधि के निवेश में सामान्य रिटर्न की उम्मीद है। IT में री-रेटिंग की जगह नहीं और हल्की डी-रेटिंग संभव है।
मंदी का कितना खतरा?
इस सवाल के जवाब में प्रशांत ने कहा कि अमेरिका में मंदी का भारत पर खास असर नहीं होगा। ऑयल और कैपिटल ही भारत को चाहिए। मंदी के दौर में ऑयल और कैपिटल दोनों सस्ते होते हैं। मंदी का भारतीय एक्सपोर्ट पर खास असर नहीं होगा। ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत का हिस्सा करीब 2% है। मंदी की सूरत में बाजार में कुछ करेक्शन भी मुमकिन है।
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