सितंबर में महंगाई के मोर्चे पर सरकार को फिर झटका लगा है। सितंबर में CPI यानी खुदरा महंगाई दर अगस्त के 7 फीसदी से बढ़कर 7.41 फीसदी पर आ गई है। यह भी बतातें चलें कि जानकारों ने इसके 7.32 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था। महीने दर महीने आधार पर सितंबर में ग्रामीण महंगाई दर 7.15 फीसदी से बढ़कर 7.56 फीसदी पर आ गई है। इसी तरह सितंबर में शहरी महंगाई 6.72 फीसदी से बढ़कर 7.27 फीसदी पर आ गई है।
सितंबर महीने में कोर CPI अगस्त के 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.1 फीसदी पर रही है जबकि इसके 6.13 फीसदी पर रहने का अनुमान किया गया था। सितंबर महीने में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर अगस्त के 7.62 फीसदी से बढ़कर 8.6 फीसदी पर आ गई है। जबकि सब्जियों की महंगाई अगस्त के 13.23 फीसदी से बढ़कर 18.05 फीसदी पर आ रही है।
वहीं महीने दर महीने आधार पर सितंबर में ईंधन और बिजली की महंगाई 10.78 फीसदी से घटकर 10.39 फीसदी पर रही है। जबकि इसी महीने हाउसिंग की रिटेल महंगाई दर अगस्त के 4.06 फीसदी से बढ़कर 4.75 फीसदी पर रही है।
सितंबर में कपड़ा , जूता , चप्पल की रिटेल महंगाई अगस्त के 9.91 फीसदी से बढ़कर 10.17 फीसदी पर आ गई है। इसी तरह दालों की रिटेल महंगाई 2.52 फीसदी से बढ़कर 3.05 फीसदी पर आ गई है।
7 परसेंट की लिमिट पार
महंगाई दर 6 प्रतिशत के स्तर से ऊपर रहने के साथ, आरबीआई को अब केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी जिसमें दोनों तरफ से 2 प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर महंगाई को नियंत्रित करने में विफलता के कारण बताए जाएंगे. केंद्र सरकार ने यह रिजर्व बैंक से सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि खुदरा महंगाई 2 से 6 परसेंट की रेंज में होनी चाहिए. लेकिन इसकी दर 7 परसेंट और उससे भी अधिक देखी जा रही है.
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महंगाई बढ़ने से इसका चौतरफा असर आर्थिक विकास पर देखा जाएगा. महंगाई की बड़ी वजह बड़ी कीमतों पर आयात भी है जो विदेशों से सामान मंगाए जाते हैं. आयात के कई क्षेत्रों में महंगाई घटी है, लेकिन फूड आइटम्स और ऊर्जा के क्षेत्रों में इसमें बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले नौ महीने से लगातार खुदरा महंगाई में तेजी है जिसे रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है
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