Monday, July 22, 2024
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इस तरीके से सिर्फ 1 एकड़ में घास की खेती से 20 लाख रुपए तक कमा रहे किसान, जाने तरीका?

देश में बहुत से किसान परंपरागत खेती की जगह अब उस तरह की खेती पर कामकाज कर रहे हैं जिससे उन्हें आमदनी बढ़ाने में मदद मिले. गुजरात के नाडियाड के खेड़ा में रहने वाले किसान चिंतन पटेल ने पशु चारे का एक startup शुरू किया है. उन्होंने 1 एकड़ जमीन में 500 टन घास उगाने में सफलता पाई है. मीठे दूधिया बाजरे की मदद से चिंतन पटेल ना सिर्फ खुद शानदार कमाई कर रहे हैं, बल्कि आसपास के किसानों की ज़िंदगी भी बदल रहे हैं.

चिंतन पटेल पशुचारे में 200-200 किलो चौलाई, सहजन का पत्ता मिलाते हैं जिसमें 16 % तक प्रोटीन होता है. आसपास के किसानों के लिए दुधारू पशुओं के चारे की समस्या खत्म होने से किसान बहुत खुश हैं. चिंतन ₹2 प्रति किलो के हिसाब से हरा चारा बेचते हैं. चिंतन की खेती ऑर्गेनिक फार्मिंग का नायाब उदाहरण है. चिंतन पटेल ने हरा चारा उपलब्ध कराकर आसपास के किसानों की जिंदगी आसान बना दी है.

चिंतन पटेल की पिछली चार पीढ़ी में से किसी ने खेती नहीं की है, उनके पास खेती की जमीन भी नहीं है. चिंतन पटेल कॉरपोरेट जॉब करते थे और उन्हें किसानी का पेशा हमेशा आकर्षित करता था. उनके कई दोस्त ऐसे हैं जिनके पास काफी जमीन है, लेकिन वह कमाई नहीं कर पा रहे थे.

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वास्तव में किसान कृषि उपज की कीमत के पीछे भागते हैं production के पीछे नहीं. भारत में खेतों की मिट्टी की उत्पादक क्षमता कमजोर हो गई है जिस वजह से किसान की उपज सही नहीं होती.

अगर आपके खेत की मिट्टी आपको पर्याप्त उपज देती है तो आप कम रेट पर माल बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं. चिंतन पटेल ने बताया कि घास चारा उगाने वाले किसान साल में 100 टन तक प्रति एकड़ उगा सकते हैं. चिंतन ने मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर बनाकर अपने हरे चारे का प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश की और उसने पहले साल ही 500 टन चारा उगाने में सफलता हासिल की है.

हरा चारा उगाने वाले किसान आमतौर पर किसान एक बार यूरिया डालकर पानी डालकर कुछ दवाई देकर घास उगाने का काम करते थे. चिंतन ने कहा कि मिट्टी की उपज की क्षमता बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना शुरू किया.

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पशुओं के लिए हरा चारा उगाने वाले चिंतन पटेल ने दूध उत्पादक किसानों के लिए दूसरे चारे पर निर्भरता खत्म कर दिया है. हरे चारे में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होने और सब कुछ ऑर्गेनिक होने की वजह से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनका दूध भी बढ़ा है.

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