छह साल पहले हुए डिमॉनेटाइजेशन (Demonetization) के बाद से काफी कुछ बदल गया है। डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) समाज के हर तबके के लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है। दूसरा मजेदार ट्रेंड यह देखने को मिला है कि 2000 रुपये के करेंसी नोट बहुत कम दिख रहे हैं। डिमॉनेटाइजेशन के बाद साल 2016 के अंत में ये नोट लॉन्च हुए थे। सवाल है कि आखिर ये गुलाबी नोट कहां चले गए?
RBI कब शुरू किए थे 2000 रुपये के नोट?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 की रात ऐलान किया था कि 500 और 1000 रुपये के सभी नोट invalid हो जाएंगे। इसका मकसद Black Money पर अंकुश लगाना, जाली करेंस नोटों को पकड़ना और Digital Transection के जरिए Cashless Economy बनाना था। इन करेंसी नोटों की जगह RBI ने 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट पेश किए।
अभी RBI 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोट जारी करता है।
2000 रुपये के नोट से कौन सा मकसद पूरा हुआ?
इसका मकसद उन नोटों की जगह लेना था, जिनके इस्तेमाल पर RBI ने रोक लगा दी थी। RBI का मानना था कि 2000 रुपये के नोट से चलन से हटाए गए नोटों की वैल्यू की भरपाई करने में आसानी होगी।
आसान शब्दों में कहा जाए तो RBI Economy में जल्द नए नोटों का चलन शुरू करना चाहता था। जब डिमॉनेटाइजेशन का ऐलान हुआ था तब सर्कुलेशन में रहे कुल नोटों की वैल्यू में 500 औक 1,000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 80% से ज्यादा थी। इतनी ज्यादा वैल्यू के नोटों की जगह एक रात में ही दूसरे नोट पेश करना बहुत मुश्किल था। RBI के करेंसी प्रेस के दिन-रात काम करने के बावजूद यह आसान नहीं था।
एक व्यक्ति अपने अकाउंट से कितना कैश निकाल सकता है, इसकी लिमिट तय कर से तो मदद मिली ही। साथ ही 2000 रुपये मूल्य के नोट शुरू होने से भी कम नोटों की जरूरत पड़ी। दरअसल, 31 मार्च, 2017 को सर्कुलेशन वाले नोटों की कुल वैल्यू में 2000 रुपये को नोटों की हिस्सेदारी 50.2% थी।
क्या 2,000 रुपये के नोट सर्कुलेशन से बाहर हो गए हैं? नहीं, लेकिन उनका सर्कुलेशन बहुत घट गया है। इसकी वजह यह है कि RBI ने FY20, FY21 और FY22 में 2000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापा। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसके चलते 31 मार्च, 2022 को सर्कुलेशन वाले कुल नोटों की वैल्यू में 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी सिर्फ 13.8% थी।
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RBI ने इन नोटों को सर्कुलेशन से हटाना भी शुरू किया है। इसके चलते पिछले कुछ सालों में इन नोटों की संख्या में बड़ी कमी आई है। FY 20 के अंत में 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी, जो FY22 के अंत में घटकर 214 करोड़ रह गई।
RBI ने 2000 रुपये के नोटों को छापना क्यों बंद कर दिया? 2000 रुपये के नोट शुरू होने से लोग उलझन में पड़ गए। क्योंकि आरबीआई ने डिमॉनेटाइजेशन के तहत 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। फिर, लोगों को 2000 रुपये के नोट शुरू करने का मतलब समझ में नहीं आया। ज्यादा वैल्यू के नोटों का इस्तेमाल स्टोर करने के लिए होता है। इसकी वजह यह है कि इन्हें आसानी से स्टोर किया जा सकता है।
2000 रुपये के नोटों की संख्या में आई कमी से ऐसा लगता है कि RBI को इनमें लॉन्ग टर्म ऑप्शन नहीं दिखा। क्या 2,000 रुपये के नोट जल्द सर्कुलेशन से बाहर चले जाएंगे? चूंकि RBI ने FY20 की शुरुआत से ही 2000 रुपये के नोट नहीं छापे हैं, जिससे एक्सपर्ट्स का मानना है कि केंद्रीय बैंक फिर से उसकी छपाई शुरू नहीं करेगा। खासकर तब जब ब्लैक मनी पर रोक लगाने पर सरकार का फोकस बना हुआ है।