Monday, April 15, 2024
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‘सम्मेद शिखर जी’ को लेकर आ गया मोदी सरकार का बड़ा फैसला!

झारखंड के ‘सम्मेद शिखर जी’ तीर्थ स्थल को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मोदी सरकार ने इसको लेकर नया नोटिफिकेशन जारी किया है.जिसके बाद ‘श्री सम्मेद शिखर’ झारखंड में तीर्थ स्थान ही रहेगा. बता दें कि मोदी सरकार ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ये नोटिफिकेशन जारी किया है

पारसनाथ मामले में केंद्र ने एक कमेटी बनाई है. राज्य सरकार को समिति में जैन समुदाय के दो सदस्यों को शामिल करना होगा. स्थानीय आदिवासी समुदाय से एक सदस्य को शामिल करने के भी आदेश. 2019 की अधिसूचना पर राज्य को कार्रवाई करनी की बात कही गई है. 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाई गई है. साथ ही पर्यटन, ईको पर्यटन गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई गई और झारखंड सरकार को तत्काल इस पर आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है.

कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?

सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। 

जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समुदाय के इस पवित्र धार्मिक स्थल को फरवरी 2019 में झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। इसके साथ ही देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी इस सूची में शामिल किया गया। उसी साल अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में “पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता” है। अब सरकार के इसी फैसले का विरोध हो रहा था। गुरुवार को केंद्र सरकार ने तीन साल पुराने इसी आदेश को वापस लिया है।

विरोध कर रहे जैन समुदाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी भड़के हुए हैं। 

क्या है सम्मेद शिखर का धार्मिक महत्व?


झारखंड के सबसे ऊंचे पर्वत पारसनाथ पर्वत पर जैन धर्म का पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखर स्थापित है। इस क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।
यहां पर 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। इस पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल जाते हैं।

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